बुंदेलखंड के किसानों की रातों की नींद हराम हो चुकी है। कारण है— 'अन्ना प्रथा' (आवारा पशु)। जब गाय दूध देना बंद कर देती है, तो उसे सड़क पर छोड़ दिया जाता है। नतीजा? खेतों की बर्बादी और गोवंश की दुर्दशा।
❌ समस्या की असली जड़
गाय को हमने केवल 'दूध की मशीन' समझ लिया है। जब तक दूध है, तब तक 'माता' है; दूध बंद होते ही वह 'बोझ' बन जाती है।
💡 हमारा समाधान: 'आत्मनिर्भर गौशाला मॉडल'
बुंदेलखंड गौ सेवा महातीर्थ ने इसका एक ऐसा हल निकाला है जिससे गाय बूढ़ी होकर भी कमाई कर सकती है:
- 💰 गोबर से धन: हम गोबर से बायो-सीएनजी (Bio-CNG) और खाद बनाते हैं, जिससे गाय अपना खर्चा खुद निकालती है।
- 🌱 किसानों की मदद: आवारा पशुओं को हम आश्रय देते हैं ताकि किसान की फसल सुरक्षित रहे।
- 🐂 नंदी सम्मान: बैलों को नंदी रथ से जोड़कर रोजगार दिया जाता है।
"यह केवल एक गौशाला नहीं, बल्कि एक महातीर्थ है जहाँ सेवा और विज्ञान साथ चलते हैं।"