₹0 लागत, लाखों की कमाई
गोबर को 'वेस्ट' नहीं 'वेल्थ' (धन) समझें।
बुंदेलखंड में अक्सर गौशालाएं फंड की कमी से बंद हो जाती हैं। लेकिन अगर हम सही मॉडल अपनाएं, तो गाय खुद अपना खर्चा निकाल सकती है।
1. गोबर गैस प्लांट (Biogas)
गौशाला का सबसे पहला नियम है - गोबर से बिजली या गैस बनाना। इससे गौशाला की बिजली का बिल जीरो हो जाएगा और जो 'स्लरी' (बचा हुआ घोल) निकलेगी, वह सबसे बेहतरीन खाद है।
2. गौ-काष्ठ (लकड़ी)
गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन अब बहुत सस्ती आती है। श्मशान घाटों और हवन के लिए इसकी बहुत मांग है। इससे पेड़ों की कटाई भी रुकेगी।
3. धूपबत्ती और दिए
त्योहारों पर गोबर से बने दिए और धूपबत्ती बेचकर गौशालाएं स्वावलंबी बन सकती हैं।
"गौशाला को दान पेटी नहीं, उद्योग केंद्र बनाएं।"